उनके देखे से जो आ जाती है मुँह पे रौनक
उनके देखे से जो आ जाती है मुँह पे रौनक
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।
देखिए पाते हैं उशशाक़ बुतों से क्या फ़ैज़
इक बराह्मन ने कहा है कि ये साल अच्छा है।
हमको मालूम है जन्नत की हक़ीकत लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है।
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया है मेरे आगे
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया है मेरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे।
होता है निहाँ गर्द में सहरा मेरे होते
घिसता है जबीं ख़ाक पे दरिया मेरे आगे।
मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे
तू देख कि क्या रंग है तेरा मेरे आगे।
ईमान मुझे रोके है जो खींचे है मुझे कुफ़्र
काबा मेरे पीछे है कलीसा मेरे आगे।
गो हाथ को जुम्बिश नहीं आँखों में तो दम है
रहने दो अभी सागर-ओ-मीना मेरे आगे।
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बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल = Children’s Playground
शब-ओ-रोज़ = Night and Day
निहाँ = निहान = Hidden, Buried, Latent
जबीं = जबीन = Brow, Forehead
कुफ़्र = Infidelity, Profanity, Impiety
कलीसा = Church
जुम्बिश = Movement, Vibration
सागर = Wine Goblet, Ocean, Wine-Glass, Wine-Cup
मीना = Wine Decanter, Container